Friday, March 25, 2011

कैसे हो झारखण्ड का विकास ???

खनिजों का भंडार हो, या हो दामोदर नदी का प्यार; खूबसूरत मौसम हो या पर्यटक स्थल हो; विश्व-विजेता टाटा जी का नगर (जम्शेदपुर) हो या हो एशिया का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना (बोकारो इस्पात संयंत्र) हो; देश की कोयले की राजधानी - धनबाद हो या फिर बात हो प्रगतिशील शहर राँची की ...

ऐसा क्या नहीं है झारखण्ड के पास जो इसके अतुल्य विकास में मदद नहीं कर सकता है? अतः हमारे पास स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के लिए हर साधन है। बस इंतज़ार है एक सही एवं गुणी रसोइये की -- वह रसोइया जिसका मक़सद हो इन साधनों का सही उपयोग करके स्वादिष्ट व्यंजन बनाना , न कि इन साधनों का "उपभोग" करना। रसोइये से मेरा तात्पर्य है हमारे नेता खासकर मुख्य मंत्री।

भारत एक गणतंत्र राज्य है। समान मौका सबका अधिकार है; परन्तु क्या यह निर्णय कि केवल एक ही जाति या समुदाय का प्रतिनिधि ही मुख्य मंत्री बने; इस अधिकार का हनन नहीं है??? झारखण्ड को एक ऐसे सूत्रधार की जरूरत है, जो इन छेत्रवाद और जाति-वाद से ऊपर उठकर राज्य के विकास पर ध्यान दे। जिसका मक़सद राज्य की उन्नति हो न कि किसी व्यक्ति या वर्ग मात्र का। राज्य की प्रगति में ही सबका विकास है। किसी एक जाति, धर्म या वर्ग के लोगों का विकास होने से सम्पूर्ण राज्य या राष्ट्र का विकास कभी नहीं हो सकता है। इससे बाकी लोगों में विरोधाभाष उत्पन्न हो सकता है जिससे राज्य के विकास में संकट आ सकती है। सही नेतृत्व का ही उदाहरण है कि हिमाचल प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों को न केवल भारत वर्ष में जाना जाता है अपितु पूरे संसार में जाना जाता है।

यह तो हुई राजा की बात, अब कुछ बात प्रजा के बारे में हो जाए क्योंकि ताली कभी एक हाथ से तो नहीं बजती। हमारे देश में एक बहुत बुरी आदत है -- यहाँ जो भी गलत घटता है उसकी जिम्मेदारी हम केवल सरकार के ऊपर मढ़ देते हैं। हमें सबसे पहले इस सोच को बदलना होगा। हमें जागरूक होना पड़ेगा। पर कैसे?
"शिक्षा देश की सबसे बड़ी ढाल होती है।" अतः हमे अपने राज्य में शिक्षा पर खास ध्यान देना चाहिए तभी हम आस-पास की चीजों को बेहतर तरीके से समझने के काबिल हो सकेंगे तथा लाल-फीताशाही पर लगाम लगा कर राज्य की प्रगति में अपना योगदान दे सकेंगे।

अब बात देश के चौथे स्तंभ "माध्यम" (मीडिया) के महत्व की। मीडिया इन दोनों (नेता एवं नागरिक) के बीच की कड़ी होती है। जिस प्रकार मीडिया द्वारा सरकार की नीतियों की जानकारी हम तक पहुचती है उसी प्रकार माध्यम को निष्पक्ष होकर समाज की परिस्थितीयों क बारे में सरकार को जानकारी देनी चाहिए तथा नागरिकों का निष्पक्ष हथियार बनना चाहिए। पत्र-पत्रिकाओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह लोगों को साक्षर बनाये तथा समाज में घट रहे गंभीर घटनाओं पर सरकार तथा समाज का ध्यान आकर्षित करे। माध्यम का यह काम है कि वह विकास संबंधी जानकारी को बढ़ावा दे एवं संवाद का माहौल पैदा करे न कि बेबुनियाद ख़बरों से अपने पन्ने भरे।

अतः इन तीनों वर्गों (सरकार, नागरिक तथा मीडिया) के साँझा संघर्ष से ही झारखण्ड राज्य का विकास संभव है।